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15 सितंबर 2023 की ये घटना है। एक महिला दरोगा अपने ही थाने के इंस्पेक्टर के सामने खड़ी हुई थी, काफी देर हो जाती है लेकिन उसके मुंह से कुछ आवाज नहीं निकल पा रही थी लेकिन आंखों में आंसू थे। महिला सब इंस्पेक्टर कुछ कहने की कोशिश करती इससे पहले ही इंस्पेक्टर ने पूछा क्या बात है यहां इतनी देर से क्यों खड़ी हो ? इंस्पेक्टर के ये पूछे जाने पर महिला दरोगा इंस्पेक्टर से कहती है, सर बहुत हो चुका अब शोषण करना बंद कर दीजिए, अब बर्दाश्त नहीं होता। जैसे ही उस महिला दरोगा ने अपने ही थाने के इंस्पेक्टर से यह बात कही इंस्पेक्टर को गुस्सा आ जाता है। गुस्सा आने के बाद एक के बाद एक कई गंदी गंदी गालियां उस महिला दरोगा को दी जाती हैं। 
जब गाली दी जाती हैं तो महिला सब इंस्पेक्टर कहती है कि सर आप समझ नहीं रहे हो, क्योंकि बात बहुत आगे बढ़ चुकी है, दरअसल तुम्हारा बच्चा मेरे पेट में पल रहा है। अगर यह बात जमाने को पता चलेगी तो बात बहुत ज्यादा बिगड़ सकती है, खराब हो सकती है, इसलिए अब इस मामले को यहीं खत्म कर दीजिये। इस कहानी का The End  कर दीजिये। जैसे ही महिला दरोगा की यह बात उस इंस्पेक्टर ने सुनी उसके बाद वो अपनी कुर्सी से उठता है और उठने के बाद महिला दरोगा के पेट पर लात मारता है। जैसे ही महिला दरोगा के पेट में लात लगती है व जमीन पर गिर जाती है। महिला दरोगा उठने की कोशिश करती है लेकिन उठ नहीं पाती है। क्योंकि उसकी तबीयत लगातार बिगड़ने लगती है, रोते हुए, गिड़गिड़ाते हुए वह हाथ जोड़ती है, कहती है कि सर अब बहुत हो चुका है। जब उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है तो उसको डाक्टर के पास पहुँचाया जाता है और उपचार शुरू होता है। 

जांच करने पर डॉक्टर कहता है कि तुम्हारे पेट में जो बच्चा पल रहा था दरअसल वो मर चुका है, इसलिए हमें तुम्हारा गर्भपात करना पड़ेगा। चूँकि अस्पताल में इंस्पेक्टर उस महिला दरोगा के साथ था पुनः महिला दरोगा और इंस्पेक्टर के बीच बहस शुरू हो जाती है। जो बात अभी तक महिला दरोगा और इन्स्पेक्टर के बीच की थी वह डाक्टर को भी पता चल जाती है। 

 और यह बात धीरे-धीरे फिर लोगों तक पहुंचना शुरू हो जाती है। उसके बाद ये खबर अखबार और  सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में वायरल हो जाती है। पूरे देश के सामने उस इंस्पेक्टर की करतूत सामने आती है तो लोगों को बड़ा आश्चर्य होता है कि जिस महिला ने दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए यह वर्दी पहनी है वह खुद ही शोषण का शिकार हो रही है। आज की कहानी उसी महिला दरोगा की है, आज की कहानी उसका शोषण करने वाले उस इंस्पेक्टर की है, जिसने अपनी वर्दी के साथ साथ देश को भी शर्मशार कर दिया। 

आदाब, नमस्कार, सत श्रीकाल मैं सचिन शर्मा आज की जो सच्ची घटना आपको सुनाने जा रहा हूं वह है बिहार प्रदेश की राजधानी पटना की, जो कि बिहार का एक ऐतिहासिक नगर है। दरअसल पटना का ही एक थाना लगता है जक्कनपुर। जक्कनपुर थाना कैंपस के अंदर सरकारी आवास बने हुए थे उसी सरकारी आवास से इंस्पेक्टर सुदामा कुमार सिंह का महिला दरोगा को फोन जाता है कि मुझे तुमसे बहुत जरूरी काम है, एक केस के सिलसिले में तुमसे बात करनी है, थोड़ी देर के लिए मेरे आवास पर आना। कुछ समय बाद महिला दरोगा इन्स्पेक्टर के आवास पर पहुँच जाती है। यहाँ पर महिला दरोगा के पहुँचने पर इन्स्पेक्टर कॉफी बनाकर लाता है और उसे पीने के लिए देता है। कॉफी पीते ही महिला दरोगा सोफे पर ही बेहोश हो जाती है। जब बैड पर लेटी हुई महिला दरोगा की अचानक आंख खुलती हैं तो आंख खुलने के बाद वह अपने शरीर पर हाथ फेरती है तो पता चलता है कि उसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं है। वो बिना कपड़ों के लेटी हुई थी, वह एकदम से अपने आप को समेटती है। इधर-उधर देखती है, इधर-उधरदेखने के बाद उसकी नजर घड़ी पर पहुंचती है। घड़ी पर जैसे ही नजर पहुंचती है तो सोचती है कि अभी तो कुछ देर पहले वो ठीक-ठाक थी लेकिन यहां कैसे पहुंची ? इस सरकारी आवास में एक फोटोग्राफ भी लगा हुआ था, वो फोटोग्राफ किसी और का नहीं बल्कि थाने के ही इंचार्ज का फोटो होता है। वो समझ जाती है कि मैं इस थाने के इंचार्ज के कमरे के अंदर हूं उसके ही घर में हूं, तभी उसे याद आता है कि कुछ देर पहले की तो बात है कुछ देर पहले ही इस थाने के इंचार्ज ने कहा था कि मुझे तुमसे बहुत जरूरी काम है एक केस के सिलसिले में बातचीत करनी है, तुम जरा घर पर आना, तुमसे बात करेंगे। 

यही सब याद करते हुए महिला दरोगा को बीते हुए पल किसी मूवी सीन की तरह एक एक करके आँखों के सामने से गुजरते हैं। इंस्पेक्टर का दरोगा के पास पहुँचना और कहना कि क्या तुम चाय पियोगी या कॉफी। तो वो कहती है नहीं नहीं सर, नो थैंक्स। जब महिला दरोगा कॉफी के लिए मना करती है तो इन्स्पेक्टर कहता है कोई दिक्कत नहीं, बातचीत करते-करते हम लोग कॉफी भी पी लेंगे। तुम परेशान मत हो मैं बनाकर लेकर आता हूं। जैसे ही कॉफी बनकर आती है उस महिला दरोगा को कॉफी दी जाती है। महिला दरोगा कॉफी पीकर सोफे पर बैठी हुई थी और बैठे-बैठे कब उससे नींद आ जाती है उसको पता ही नहीं चलता। जब आंख खुलती है तो पता चलता है कि अपने ही थाने के इंस्पेक्टर सुदामा कुमार सिंह के सरकारी आवास में जो बैड होता है उसके बिस्तर पर वह न्यूड अवस्था में थी। बिना कपड़ों के लेटी हुई थी। तब उसे समझ आता है और उसकी आंखों से आंसू निकलने शुरू हो जाते हैं। वह वह रोती है, गिड़गिड़ाती  है, कहती है कि सर आपको पता नहीं आपने क्या कर दिया है ? बस वह लगातार रोती जा रही थी और इसी बीच में रोते-रोते एक आवाज आती है कि तुमको परेशान होने की जरूरत नहीं है। तुम बिना कपड़ों के भी बहुत अच्छी लगती हो। यकीन ना हो तो देख सकती हो। जैसे ही बिना कपड़ों का फोटोग्राफ, बिना कपड़ों का वीडियो इस महिला दरोगा को उस थाने के इंचार्ज ने दिखाया उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। वह कहती है कि मेरी शादीशुदा जिंदगी को तुम बर्बाद करने पर क्यों तुले हो ? वो रोती है, पैरों में पड़ती है, लेकिन इंस्पेक्टर कहता है कि यहां से अगर यह बात निकलकर कहीं दूर जाती है तो समझ लेना, ना केवल तुम्हारी नौकरी जाएगी बल्कि तुम्हारी इज्जत भी जाएगी, साथ ही शादीशुदा जिंदगी भी पूरी तरह से तबाह हो जाएगी। इसलिए जैसा कहता हूं वैसे ही करती रहो। उस महिला दरोगा के सामने अब कोई विकल्प नहीं बचा था उसे नौकरी भी बचानी थी, अपना परिवार भी बचाना था, इसलिए वह चुपचाप वहां से चली जाती है। 

महिला दरोगा को यह लग रहा था कि शायद यह आखिरा दिन है लेकिन वो आखिरा दिन नहीं था। इन्स्पेक्टर सुदामा कुमार सिंह का जब भी मन करता, उस महिला दरोगा को किसी न किसी बहाने से बुला लेता था और उस महिला दरोगा का रेप करता था। वह चाहकर भी कुछ भी नहीं कर पाती थी। यह सिलसिला लगातार चलता चला जा रहा था इसी बीच में वह गर्भवती हो जाती है और अपने गर्भवती होने की बात जब उस इंस्पेक्टर से कहती है तो इंस्पेक्टर साहब कहते हैं कि तुम मुझे जानती नहीं हो कि मैं कितना पावरफुल हूं। मुझे इस थाने में तीसरा साल होने वाला है और मुझे यहां से हटाने वाला कोई है नहीं, और फिर भी उसके बाद भी तुम इस तरह की बातें कर रही हो। तुम नहीं जानती हो कि मैं तुम्हें बर्खास्त करा सकता हूं। बड़े-बड़े अधिकारियों से मेरे घनिष्ठ संबंध हैं। 

 चूँकि इन्स्पेक्टर सोची समझी रणनीति के तहत महिला का शिकार कर रहा था जब महिला दरोगा ने उससे कहा कि वह तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली है यानी कि मैं तुम्हारी वजह से प्रेग्नेंट हो चुकी हूं,  इंस्पेक्टर सुदामा कुमार सिंह महिला दरोगा के पेट पर लात मारकर उसके बच्चे को गिरा देता है। महिला दरोगा के पास सारे सबूत होते हैं लेकिन यहां भी उसने सोचा कि अब तक चलो जो भी है सब कुछ ठीक है बर्दाश्त करते हैं, हो सकता है कि आगे अब दिक्कत परेशानी ख़त्म हो जाए, लेकिन उस इंस्पेक्टर की मनमानी कम नहीं हो रही थी, अब धीरे धीरे  एक आध महीना गुजर जाता है अभी तक किसी को यह बात मालूम नहीं थी। लेकिन एक दिन थाने के अंदर ही महिला दरोगा और इंस्पेक्टर के बीच में इतनी बहस होती है कि यहां पर जितने भी स्टाफ वाले तैनात होते हैं, चाहे वो होमगार्ड हो, चाहे वो अन्य पुलिसकर्मी हो, या फिर अन्य दरोगा या फरियादी हों, उनके सबके सामने यहां पर इतना हंगामा होता है और उस हंगामे के बीच शुरू से लेकर आखिर तक की इंस्पेक्टर की पूरी कहानी सबके सामने मुंह जवानी महिला दरोगा बता देती है। जैसे ही महिला दरोगा ये सबके सामने बताती है उसके अंदर ना जाने उस दिन कहां से इतनी हिम्मत आई थी, काश कि उसने वो पहले दिन ही अपनी हिम्मत दिखाई होती और अपनी आबरू को लुटने से बचा लिया होता तो शायद ये इतनी लंबी कहानी बनती ही नहीं। 

जब वो शोर मचाती है उसके बाद इंस्पेक्टर को लगता है कि बात कहीं खराब ना हो जाए। इंस्पेक्टर मौका पाते ही 30 नवंबर 2023 को यहां से 6 दिन की छुट्टी लेकर चला जाता है। कहता है कि मैं 6 दिसंबर 2023 को वापस आ जाऊंगा लेकिन वह आता ही नहीं है। उसके बाद वो थाने से लगातार गायब रहता है। यह महिला दरोगा भी गायब हो जाती है। अभी झगड़े की सूचना लोगों के पास तक थी अब काफी वक्त बीत जाता है यानी कि 15 जनवरी 2024 तक यह इंस्पेक्टर थाने में पहुंचता ही नहीं है। इसके बाद यह महिला दरोगा अपने पति और एक रिश्तेदार के साथ सीधा पटना के पुलिस मुख्यालय में पहुंच जा जाती है। वहां जाकर पूरी कहानी बयान की जाती है। जब उच्च अधिकारियों ने ये बात सुनी, उन्हें लगा कि एक इंस्पेक्टर आखिरकार ऐसा कैसे कर सकता है तभी आदेश दिए जाते हैं एससी एसटी थाने को। आदेश दिए जाते हैं इस महिला की तहरीर ली जाए और उस इन्स्पेक्टर पर मुकदमा दर्ज किया जाए। और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए। जांच में जो भी दोषी होगा उस दोषी को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाना चाहिए। 

 एएसपी सदर स्वीटी सहरावत और एस पी भरत सोनी मिलकर इस प्रकरण की जांच करना शुरू करते हैं। दूसरी तरफ ये घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल होता है लोगों को पता चलता है कि जिस महिला ने वर्दी इसलिए पहनी थी ताकि दूसरी बहन बेटियों को वो इंसाफ दिला सके, लोगों को इंसाफ दिला सके, वो खुद ही शोषण का शिकार हो रही है,  बड़ा चर्चा का विषय था।

 इसी बीच में मामला ज्यादा तूल ना पकड़े इसीलिए इस जक्कनपुर थाने से इस इन्स्पेक्टर का ट्रांसफर सहरसा नामक स्थान पर कर दिया जाता है। सहरसा में जाकर वो अपना मुंह छुपाने की कोशिश कर रहे थे। बताते यह भी हैं कि मीडिया कर्मियों ने जब इन इंस्पेक्टर साहब से बातचीत करने की कोशिश की तो इंस्पेक्टर साहब ने फोन ही काट दिया, फोन बंद कर लिया और मीडिया कर्मियों से बातचीत करने करने से इंकार कर दिया। हालांकि इस पूरे मामले में एएसपी सदर स्वीटी सहरावत और एसपी साहब भरत सोनी इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं उनका यह कहना है कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं एक-एक पहलू को देखेंगे, परखेंगे और जो भी सबूत होंगे कम से कम समय में जुटाने की कोशिश करेंगे। पूरा का पूरा मामला कोर्ट में जाएगा। कोर्ट इस मामले में जो भी इस आरोपी के खिलाफ सजा करेगा वह सजा दी जाएगी, साथ ही अगर यदि ऐसा भी हो सकता है कि महिला दरोगा का भी इसमें कुछ रोल नेगेटिव हो सकता है तो इसलिए अभी जांच से पहले हम कुछ कह नहीं सकते, लेकिन महिला दरोगा ने जिस तरह से अपनी बात बताई है उससे लगता है कि महिला की बातों में पूरी तरह सच्चाई है और उस अधिकारी ने अपने ओहदे का फायदा उठाते हुए दुरुपयोग करके इस कुकृत्य को अंजाम दिया। जो सच्चाई है पुलिस की जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा लेकिन जो भी हुआ है वो वाकई गलत हुआ है। दोस्तों इस पूरे घटनाक्रम को सुनाने का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है, किसी का दिल दुखाना नहीं है बल्कि आपको जागरूक करना है, आपको सचेत करना है। आपको यह बताना है कि जब भी किसी के साथ शोषण होता है पहली बार में पूरी पुख्ता ईमानदारी के साथ आवाज उठा दी जाए, अगर उस समय आवाज को नहीं उठाया गया तो फिर आपका लगातार बार-बार शोषण होता चला जाएगा। वक्त बीतता चला जाएगा और आपकी आँखें तब खुलेंगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। आप सब लोग अपना ख्याल रखें सुरक्षित रहें।  जय हिंद, जय भारत। 

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