मिर्ज़ा ग़ालिब की फेमस शायरी हिंदी में
[1]
"हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।"
[2]
"इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।"
[3]
"इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।"
[4]
"उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है"
[5]
"इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने"
[6]
"वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है,
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं "
[7]
"बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब',
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है "
[8]
"हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है "
[9]
"हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और"
[10]
"आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक,
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक "
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